બ્રહ્મસમાજ દ્વારા સોશીયલ મિડિયાના માધ્યમથી સૌ બ્રાહ્મણ મિત્રો એક બીજાની સાથે સંર્પકમાં રહી શકે તે માટે ખુબ જ વિશાળપાયે આયોજનબદ્ધ અને સુવ્યવસ્થિત રીતે બ્રહ્મસમાજ દ્વારા Android apps (લિન્ક https://goo.gl/12GLvn ) બનાવવામાં આવી છે. આ વિષયે વધુ માહિતી આપતા નિહારીકા રવિયા એ જણાવ્યું હતું કે, બ્રહ્મસમાજના કલ્યાણ અને બ્રહ્મસમાજના લોકો, દુનિયાના વધુને વધુ બ્રાહ્મણો એક બીજા સાથે સંપર્કમાં રહી, બ્રહ્મસમાજ દ્વારા યોજાતા પ્રોગ્રામ, સ્નેહ મિલનો, લગ્ન નોંધણી, શિક્ષા સહાયક, રોજગાર, સમાચાર, […]
रामायण अयोध्याकाण्ड भाग २ – यहां रामायण के बालकाण्ड, अयोध्याकाण्ड, अरण्यकाण्ड, किष्किन्धाकाण्ड, सुन्दरकाण्ड, लंकाकाण्ड, उत्तरकाण्ड का विवरण जो बुकसमे वेस करने की कोशिस है.कुछ तृटि रह जाये तो ध्यान देने की कृपा करना. दोहा- परउँ कूप तुअ बचन पर सकउँ पूत पति त्यागि। कहसि मोर दुखु देखि बड़ कस न करब हित लागि॥२१॥ कुबरीं करि कबुली कैकेई। कपट छुरी उर पाहन टेई॥ लखइ न रानि निकट दुखु कैंसे। चरइ हरित […]
यहां रामायण के बालकाण्ड,अयोध्याकाण्ड,अरण्यकाण्ड,किष्किन्धाकाण्ड,सुन्दरकाण्ड,लंकाकाण्ड,उत्तरकाण्ड का विवरण जो बुकसमे वेस करने की कोशिस है.कुछ तृटि रह जाये तो ध्यान देने की कृपा करना. अयोध्याकाण्ड श्लोक- यस्याङ्के च विभाति भूधरसुता देवापगा मस्तके भाले बालविधुर्गले च गरलं यस्योरसि व्यालराट्। सोऽयं भूतिविभूषणः सुरवरः सर्वाधिपः सर्वदा शर्वः सर्वगतः शिवः शशिनिभः श्रीशङ्करः पातु माम्॥१॥ प्रसन्नतां या न गताभिषेकतस्तथा न मम्ले वनवासदुःखतः। मुखाम्बुजश्री रघुनन्दनस्य मे सदास्तु सा मञ्जुलमंगलप्रदा॥२॥ नीलाम्बुजश्यामलकोमलाङ्गं सीतासमारोपितवामभागम्। पाणौ महासायकचारुचापं नमामि रामं रघुवंशनाथम्॥३॥ दोहा- श्रीगुरु […]
यहां रामायण के बालकाण्ड,अयोध्याकाण्ड,अरण्यकाण्ड,किष्किन्धाकाण्ड,सुन्दरकाण्ड,लंकाकाण्ड,उत्तरकाण्ड का विवरण जो बुकसमे वेस करने की कोशिस है.कुछ तृटि रह जाये तो ध्यान देने की कृपा करना. दोहा- एहि सुख ते सत कोटि गुन पावहिं मातु अनंदु॥ भाइन्ह सहित बिआहि घर आए रघुकुलचंदु॥३५०(क)॥ लोक रीत जननी करहिं बर दुलहिनि सकुचाहिं। मोदु बिनोदु बिलोकि बड़ रामु मनहिं मुसकाहिं॥३५०(ख)॥ देव पितर पूजे बिधि नीकी। पूजीं सकल बासना जी की॥ सबहिं बंदि मागहिं बरदाना। भाइन्ह सहित राम कल्याना॥ […]
यहां रामायण के बालकाण्ड,अयोध्याकाण्ड,अरण्यकाण्ड,किष्किन्धाकाण्ड,सुन्दरकाण्ड,लंकाकाण्ड,उत्तरकाण्ड का विवरण जो बुकसमे वेस करने की कोशिस है.कुछ तृटि रह जाये तो ध्यान देने की कृपा करना. दोहा- मुदित अवधपति सकल सुत बधुन्ह समेत निहारि। जनु पार महिपाल मनि क्रियन्ह सहित फल चारि॥३२५॥ जसि रघुबीर ब्याह बिधि बरनी। सकल कुअँर ब्याहे तेहिं करनी॥ कहि न जाइ कछु दाइज भूरी। रहा कनक मनि मंडपु पूरी॥ कंबल बसन बिचित्र पटोरे। भाँति भाँति बहु मोल न थोरे॥ गज […]